मैं लोगों को घनी छांव देता हूं, फल देता हूं और पक्षी भी मेरे तनों पर ही घोंसला बनाना पसंद करते हैं। लेकिन ना तो तुम कोई फल देते हो और ना ही तुम्हारी पत्तियां मीठी हैं, जिसे कोई खा सके। तो फिर तुम्हारा क्या फायदा।
नीम के पेड़ ने आम के पेड़ का कोई जवाब नहीं दिया, बस वह चुपचाप सुनता रहा।
आम के पेड़ को अपने पर बहुत घमंड था।
कुछ दिनों बाद गांव में महामारी फैल गई, सभी बच्चे और बूढ़े बीमार पड़ने लगे सभी बहुत परेशान थे। वह सब वैध जी के पास गए। तब वैध जी ने उनसे कहा कि आप सब नीम की पत्तियों का सेवन करें और उस की पत्तियों के उबले हुए पानी से नहाए।
अपने घर के पास भी नीम की पत्तियां रखें।सभी लोग ऐसा ही करने लगे और सब आम को छोड़कर नीम के पास गए, और वहां से बहुत सी पत्तियां लेकर आए।
वैध जी के कहे अनुसार सभी उसका सेवन करने लगे।और देखते ही देखते सभी लोग स्वस्थ होने लगे।आम का पेड़ भी यह सब कुछ देख रहा था। जब उसने देखा की नीम की वजह से सभी गांव वाले उस महामारी से मुक्त हो गए।
तब आम ने नीम के पेड़ से कहा मुझे माफ करना मित्र मैं गलत था। मीठे मीठे फल दे कर मुझे लगता था की मैं बहुत महान हूं। लेकिन तुम मुझसे ज्यादा गुणवान हो।मैं तो केवल उनका पेट भर सकता हूं। लेकिन तुमने उन सब को बीमारी से बचा कर उनके दुख दूर किए है।तुम जो कर सकते हो,वह मैं कभी नहीं कर सकता। मुझे माफ करना मित्र मैंने तुम्हें गलत समझा।
नीम के पेड़ ने कहा कोई बात नहीं मित्र, तुमने मुझे क्या कहा मुझे उस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।लेकिन याद रखना इस दुनिया में ईश्वर ने सभी को कुछ ना कुछ गुण अवश्य ही दिया है। हो सकता है वो गुण तुम्हें आज दिखाई ना दे।लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह किसी काम का नही। इसलिए हमें सभी का आदर करना चाहिए।
सीख : बिना किसी के गुण जाने उसका आकलन करना गलत है।
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